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सनातन धर्म में अनेकों व्रत एवं त्यौहार के मनाए जाने का कारण न केवल मान्यता तक ही सीमित है अपितु इसके पीछे विशिष्ट विज्ञान है । जगत के कल्याण के लिए भारतीय ऋषि-मुनियों ने अपने दिव्य दृष्टि से देखकर सुनिश्चित किया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार नागराज वासुकी ने अपने फन पर पृथ्वी को उठा रखा है। नागराज वासुकी की ही कृपा से पृथ्वी का अस्तित्व है तथा नागराज वासुकी भगवान भूत भावन के गले में श्रृंगार के रूप में सदैव स्थित रहते हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। श्रावण मास भगवान शिव शंकर को सर्वदा ही अति प्रिय रहा है। इस माह में भगवान शिव के विशिष्ट पूजा के साथ नागराज वासुकी की पूजा का भी प्रावधान बनाया गया है। आज के दिन मुख्य रूप से महिलाएं अपने संपूर्ण परिवार के सदस्यों के आरोग्य, लंबी उम्र तथा सौभाग्य के लिए नागराज का पूजन कर करती है। यह भी मान्यता है कि आज के दिन पूजन करने से कुंडली में बने विष योग अथवा सर्पदंश योग समाप्त हो जाता है।

  • नाग पंचमी का पूजन एवं मुहूर्त

    पंचमी तिथि का प्रारंभ- 02.08.2022 को 05:12 मिनट।
    पंचमी तिथि का समापन -03.08.2022 को 05:40।
    नाग पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त- 05:42 बजे प्रातः से 08:24 प्रातः तक।

  • पूजन विधि

    नाग पंचमी के दिन प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर भगवान भास्कर को जल देने के बाद लकड़ी की चौकी अथवा बेदी बना कर उस पर नाग देवता का चित्र तस्वीर रखें अथवा मिट्टी या चांदी से बने नाग देवता को भी रख सकते हैं। तत्पश्चात अभिषेक की तरह सर्वप्रथम जल से अभिषेक करें तथा तनु पर दूध से अभिषेक करें। दूध से अभिषेक करने के बाद हल्दी रोली कुमकुम अक्षत कुछ उस पुष्प आदि अर्पित करें।

    स्नान एवं पूजन के बाद आसन पर बैठकर निम्न मंत्र का यथासंभव जब सुनिश्चित करें। न्यूनतम एक माला अर्थात 108 बार अवश्य जब करें।

    ॐ ऐं क्लीं नागेश्वराय नमः

  • धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

    यह मान्यता है की नाग देवता के कारण ही पृथ्वी का अस्तित्व है। अतः पृथ्वी पर सभी प्रकार के सुख समृद्धि हेतु नाग देवता के पूजा का प्रावधान बनाया गया है। आज के दिन पूजन करने से सुख समृद्धि प्राप्त होने के साथ-साथ अरिष्ट का नाश हो जाता है।

    मूर्ति के निर्माण के बाद सभी पूजा सामग्री को थाली में लेकर कुछ ताजे फूल के साथ षोडशोपचार द्वारा पूजन करना चाहिए।

    ज्योतिष शास्त्र में सर्पदंश योग अथवा विष योग के पाए जाने पर इस बात की संभावना अधिक हो जाती है कि अमुक जातक के जीवन में सांप के काटने अथवा विष के कारण संकट उत्पन्न हो सकता है।

    उपरोक्त दोनों योगों के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने हेतु नाग पंचमी का पूजन लाभदायी कहा गया है । अर्थात आज के दिन पूरी श्रद्धा एवं नियम से पूजा करने के पश्चात सर्पदंश का भय समाप्त हो जाता है।