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आपकी राशि के अनुसार होलिका दहन मे क्या दान करना भाग्यशाली सिद्ध होगा?

भारतीय संस्कृति में होली एवं दीपावली की गणना महापर्व में की जाती है। मुख्य रूप से होली अपने में अनेक वैदिक एवं वैज्ञानिक कारण को समाहित करने के साथ-साथ सामाजिक जीवन को समरसता प्रदान करने का सुंदर एवं अति शुभ दिन भी माना जाता है। भगवान भास्कर की सात किरणें जो संपूर्ण विश्व को अपने रंगों से ऊर्जावान बनाती हैं, उनके समन्वय का अवसर होली के रूप में मनाया जाता है। एक तरफ जहां लाल रंग दृढ़ विश्वास एवं उर्जा को निरूपित करता है वही पीला रंग शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। इसी प्रकार सभी रंग आज के दिन अपने में एक दूसरे को समाहित करके संपूर्णता का बोध कराते हैं।

मुख्य रूप से होली दो दिवसीय त्योहार के रूप में जाना जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष के फाल्गुन मास के पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन तथा अगले दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष अर्थात 2022 में होलिका दहन दिनांक 17 मार्च 2022 को शुरू होगा। होलिका दहन के साथ-साथ रंगों की मादकता प्रारंभ हो जाएगी तथा लगभग संपूर्ण भारतवर्ष में दिनांक 18 मार्च 2022 को भिन्न-भिन्न रंगों के साथ होली बुराई पर अच्छाई ‌के‌ जीत‌के रुप में मनाई जाएगी।

  • होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

    भारतीय ज्योतिष के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन सूर्यास्त के बाद किया जाता है। जो कि इस वर्ष 17 मार्च 2022 को पड़ रहीहै। परंतु दोपहर 1: 30 से ही भद्रा प्रारंभ हो रही है जो 18 मार्च को मध्य रात्रि 01:12 तक रहेगी। भद्रा में होलिका दहन अशुभ माना जाता है जिसके कारण यह समय होलिका दहन के लिए कदापि उचित नहीं कहा जाएगा।
    अतः शास्त्रानुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 01:12 बजे से रात्रि 2:15 तक कहा जाएगा।

  • होली के मनाने में तिथि का संशय

    होली के त्यौहार को लेकर लोगों के मन में यह संशय की स्थिति है कि होली 18 मार्च को मनाई जाएगी या 19 मार्च को। यद्यपि पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 17 मार्च 2022 को दोपहर 1:30 से ही प्रारंभ हो रहा है तथा 18 मार्च 2022 को 12:47 पर समाप्त हो रहा है।
    कुछ लोग 18 मार्च को सही तिथि मान रहे हैं तो कुछ लोग उदया तिथि के अनुपालन में 19 मार्च को मान रहे हैं परंतु उक्त विषय पर विश्व के एकमात्र ज्योतिष वैज्ञानिक पंडित राजेश तिवारी के अनुसार होली के त्यौहार में उदया तिथि का महत्व नहीं होता, जिसके फल स्वरुप 18 मार्च 2022 को ही होली का त्यौहार मनाया जाना चाहिए।

  • होलिका दहन मनाने की विधि

    आज के दिन परिवार के प्रत्येक सदस्य के शरीर पर सरसों का उबटन लगाकर अवशेष को एकत्र कर लेना चाहिए तथा परिवार में समर्थ लोगों को होली का स्थल पर अवश्य जाना चाहिए। होली का स्थल पर उबटन के अवशेष, लकड़ी, गेहूं एवं जौ की बाली को होलिका के परिक्रमण करते हुए समर्पित करना चाहिए। होलिका के परिक्रमा के समय अपने ईष्ट देव के मंत्रों का मन में उच्चारण अवश्य करना चाहिए तथा माता होलिका से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे माता! मेरे संपूर्ण परिवार को आरोग्यता के साथ-साथ संपन्नता प्रदान करिए। आगामी वर्ष मेरे संपूर्ण परिवार के लिए आनंदमय सिद्ध हो।

  • होलिका दहन के साथ भिन्न भिन्न समस्या के अन्त का अचूक उपाय

    यदि आप भिन्न-भिन्न समस्याओं से गुजर रहे हैं तो निम्न प्रयोग द्वारा होलिका दहन में अपनी समस्याओं का दहन भी कर सकते हैं। दिए गए प्रयोग अत्यंत लाभकारी एवं अनुभूत बताए गए हैं। अतः एस्ट्रो टर्मिनल की टीम आपसे निवेदन करती है कि इन आसान प्रयोगों को करके अपने जीवन को सुखी एवं समृद्धशाली बनाने की अवश्य कामना करें।

  • आरोग्यता (रोग समापन हेतु)

    होलिका दहन के समय 11 परिक्रमा करते हुए "नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा" का उच्चारण करते हुए गुरुची, लोबान तथा चंदन की लकड़ी का टुकड़ा होलिका को अर्पित करते हुए यह कामना करें कि हे माता! मुझे आरोग्यता प्रदान करिए।

  • नज़र दोष व शत्रुता के नाश के लिए

    यदि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को बार-बार नजर लगती हो अथवा शत्रुता से पीड़ित हो तो नारियल (दक्षिणावर्ती) तथा पीला सरसों लेकर 5 बार घुमायें (परछें)। घूम आते समय मन में गायत्री मंत्र का जप अवश्य करें तथा इसे होलिका में जला दें। इस प्रयोग के बाद सभी प्रकार के नजर दोष एवं शत्रुता से मुक्ती जहां प्राप्त होगी वही कार्य में आरही बाधाएं भी समाप्त हो जाएंगी।

  • शीघ्र विवाह हेतु

    कि यदि किसी कन्या का यह विवाह ना हो रहा हो अथवा विवाह में बार-बार बाधा आ रही हो तो 7 हल्दी का टुकड़ा तथा गुण लेकर 7 बार घूमायें व इसे होलिका की अग्नि में घर के स्वामी द्वारा आहुति प्रदान करें। निश्चय शीघ्र विवाह होगा तथा सभी बाधाओं का समापन होगा।

  • आर्थिक विकास एवं बचत के लिए

    यदि आर्थिक रुप से आप परेशान हैं अथवा अच्छा धन कमाने के बाद भी बचत नहीं हो पाती तो मिट्टी का बना एक दिया एक कच्चा दीपक लीजिए और उसमें दुर्वा, मिश्री, एक सुपारी, गुड़ व एक फल लेकर चेहरे पर घुमायें (परछे)। इस क्रिया को करते समय मन में "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नारायणाय नमः" मंत्र का मन में उच्चारण करें । होलिका की अग्नि में इसे 11 परिक्रमा करने के बाद आहुति के रूप में समर्पित करदे। परिक्रमा करते समय भी उक्त मंत्र का मन में जब करते रहे।

  • भिन्न-भिन्न राशि के लोगों के लिए आवश्यक परिक्रमा

    मेष : 9
    वृषभ : 7
    मिथुन : 11
    कर्क : 5
    सिंह : 3
    कन्या : 11
    तुला : 7
    वृश्चिक : 9
    धनु : 21
    मकर : 8
    कुंभ : 8
    मीन : 21