मंगला - मंगली होने का अर्थ
सामान्यतः आम जनमानस के मन में मंगला अथवा मंगली होने का तात्पर्य ही दांपत्य जीवन को लेकर कष्ट, भय अथवा किसी अनिष्ट की आशंका का आना अत्यंत स्वाभाविक हो गया है। इस स्थिति में सर्वप्रथम यह स्पष्ट कर देना ज्यादा उचित होगा कि वास्तव में मंगला अथवा मंगली का मूल अर्थ क्या है? इसे जानने के लिए जातक परिजात के निम्न श्लोक का अनुकरण करना होगा
लग्ने व्यये च पातालेयामित्रे चाष्टमेकुजे।
स्त्रीजातके भर्तृनाश:पुंसो भार्योविनश्यति।।
अर्थात लग्न, व्यय, चतुर्थ, सप्तम तथा अष्टम स्थानों में बैठा मंगल हो तो स्त्री पुरुष का विनाश करती है और यदि यह योग पुरुष के जन्मांग में हो तो स्त्री का विनाश होता है। यह ध्यान रहे कि विनश्यति शब्द जिसका अर्थ विनाश है, का प्रयोग दांपत्य जीवन के सुख के लिए किया गया है न की आयु के लिए। किसी भी जन्मांग में आयु का निर्धारण मंगल की भागवत स्थिति पर नहीं किया जाता।
मंगल की उपरोक्त पंच भावगत स्थिति भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से भी जानी जाती है। अधिकांशत भारत में मंगला अथवा मंगली दोष के अतिरिक्त राजस्थान आदि क्षेत्रों में मोरिया मंगल तथा चुनरी मंगल के नाम से भी जाना जाता है। उपरोक्त श्लोक आज के परिवेश में भी अक्षरस: सत्य है परंतु इस श्लोक का ज्योतिषियों ने अनर्थ कर लोगों को भयभीत करने का लक्ष्य बना रखा है। जबकि उक्त श्लोक में ज्योतिष प्रणेता का तात्पर्य मंगल दोष के असंतुलन से है। जैसे कि यदि किसी स्त्री के जन्मांग में लग्न, द्वादश, चतुर्थ, सप्तम तथा अष्टम में मंगल बैठकर दोष उत्पन्न करता है और उसका विवाह यदि मंगला दोष रहित जातक से कर दिया जाए तो स्त्री पति का विनाश कर देगी। दूसरी स्थिति में यदि किसी जातक के जन्मांग में उपरोक्त स्थानों में बैठकर मंगल, मंगला दोष प्रदान करता है और उसका विवाह मंगली दोष रहित कन्या से कर दिया जाए तो पत्नी का विनाश हो जाता है।
आचार्य का भाव यहां यह है कि मंगला दोष रहित जीवन साथी मिलने पर मंगल का पाप स्वभाव जागृत हो जाता है और बिना दोष वाले जातक अथवा जातिका के दांपत्य जीवन का विनाश हो जाता है। लेकिन इस सूत्र का पूर्ण अर्थ बिना समझे ही आजकल 90% से ऊपर लोगों को मंगला अथवा मंगली दोष युक्त बताना आम बात हो गई है। इस समस्या के समाधान के लिए सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि मंगल की भागवत स्थिति के अनुसार मंगली होना तथा मंगली दोष का होना में क्या अंतर है । आगे के लेख में यह स्पष्ट करने का प्रयास किया जाएगा।