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भाई -बहन के प्रेम एवं त्याग के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ-साथ विशेष महत्व रखता है।

रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। आज के दिन बहने पूरे उमंग व विश्वास के साथ अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तथा उनके लंबे उम्र तथा सम्बृद्धि की कामना करती हैं। बहन के राखी के बदले भाई उसकी सभी प्रकार से रक्षा व सहायता का वचन देता है।

भारतीय पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार शुभ मुहूर्त में ही मनाया जाना चाहिए। विशेष रुप से भद्रा का निषेध बताया गया है। जब चंद्रमा नामक ग्रह कर्क, सिंह, कुंभ अथवा मीन राशि में गोचर करता है तो उस समय भद्रा पृथ्वी लोक में रहती है। इस समय राखी का त्यौहार कदापि नहीं मनाया जाना चाहिए।

  • रक्षा बंधन 11 या 12 कब है?

    पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 अगस्त 2022 को सुबह 10:00 बज के 38 मिनट से प्रारंभ हो रहा है तथा यह 12 अगस्त 2022 को सुबह 7:05 पर समाप्त होगा।

  • उक्त को ध्यान में रखते हुए रक्षाबंधन का त्यौहार 11 अगस्त को मनाया जाना शास्त्रोचित प्रतीत होता है।
  • रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

    निम्न मुहूर्त में रक्षा बंधन बांधने का समय सर्वाधिक शुभ एवं लाभकारी कहा जाएगा।

    अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:02 से 12:50 तक ।

    अमृत काल सायं 6:59 से 8:27 तक।

    नोट: 11 अगस्त 2022 को सायंकाल 8:51 पर भद्रा समाप्त होने के बाद भी राखी बांधी जा सकती है।

  • रक्षा बंधन की मान्यता

    रक्षाबंधन को लेकर यद्यपि भारतीय धर्म शास्त्र में अनेक कथाएं प्रचलित है जो न केवल शिक्षाप्रद है अपितु अध्यात्मिक भावनाओं से भी ओतप्रोत हैं।

  • रक्षा बंधन की मान्यता

    एक कथा के अनुसार प्राचीन समय में देवताओं एवं असुरों के बीच महासंग्राम हुआ तथा असुरों के राजा ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर लेने की घोषणा कर दी ।

स्वर्ग का आसन छिन जाने के कारण देवराज इंद्र अत्यंत निराशावस्था में देव गुरु बृहस्पति की शरण में पहुंचे तथा पुनः स्वर्ग का आसन प्राप्त करने के लिए उपाय पूछा। भगवान बृहस्पति ने अपने तपोबल को निम्न मंत्र का पाठ करते हुए देवराज इंद्र की कलाई पर बांध दिया तथा इस मंत्र के जब के लिए भी आदेशित किया-

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

देव गुरु बृहस्पति के आदेशानुसार देवराज इंद्र एवं इंद्राणी ने इस मंत्र का जप एवं पूजन किया तथा राक्षसों से पुनः सिंहासन प्राप्त करने में सफल हुए। सतयुग से ही इस प्रथा का प्रारंभ हो गया।

दूसरी कथा के अनुसार द्वापर काल में द्रोपदी ने भगवान श्री कृष्ण के हाथ पर चोट लगने के बाद तत्काल अपनी साड़ी फाड़ कर बांध दिया था ।

द्रोपदी की इस संवेदनशीलता एवं उदारता के फल स्वरुप श्री कृष्ण ने सदैव उनकी रक्षा करने का वचन दिया था। इस वचन के फलस्वरुप ही दुशासन द्वारा द्रोपदी के चीरहरण की कोशिश के समय भगवान श्री कृष्ण ने रक्षा की थी।

एक अन्य कथा के अनुसार गुजरात के सम्राट के द्वारा चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती के राज को अपने अधिकार में लेने की कोशिश की जा रही थी तो उसकी रक्षा हेतु रानी कर्णावती ने सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी। मुगल सम्राट हुमायूं ने राखी की मर्यादा निभाते हुए गुजरात के राजा से चित्तौड़ की रक्षा की थी।

  • राखी बांधने का नियम

    राखी के दिन भाई एवं बहन दोनों को ही प्रातः काल स्नान ध्यान करने के बाद परमात्मा से अपनी प्रार्थना कहनी चाहिए। बहन को भाई के सुख समृद्धि तथा लंबी उम्र के लिए तथा भाई को यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे प्रभु मुझे इतनी सामर्थ प्रदान करिए कि मैं सर्वदा ही बहन को की रक्षा कर पाऊं।

भाई व बहन दोनों को ही साफ सुथरा वस्त्र धारण कर स्वयं को तैयार करने के पश्चात दिए गए मुहूर्त में राखी बांधना चाहिए।

बहन को सजी हुई थाली जिसमें रोली, अक्षत, दही, मिठाई, राखी या रक्षासूत्र आदि हो को लेकर भाई को पूर्व की तरफ बैठा कर निम्न मंत्र को पढ़ते हुए राखी बांधना चाहिए।

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

  • राखी बांधने की सावधानी
  • 1- भाई का मुख निश्चित रूप से पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए तथा बहन का मुख पश्चिम की ओर।
  • 2- किसी अन्य दिशा में राखी बांधना निषेध है।
  • 3- राखी बांधने के पहले तिलक करते समय देवाधिदेव महादेव का ध्यान करते हुए उनके किसी मंत्र अथवा अपने इष्टदेव के मंत्र का मन में उच्चारण करें।
  • 4- राखी बांधने के समय पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि राखी पर डरावना तस्वीर, अशुभ चिन्ह, टूटा धागा या खंडित न हो।
  • 5- यथासंभव यह प्रयास करें कि भाई फर्श पर पीढा ( लकड़ी का बना हुआ आसनी ) पर बैठे तथा सर पर साफ रुमाल रख ले।

भिन्न भिन्न राशियों के लिए शुभ राखी

  • मेष

    इस राशि के भाई के लिए यथासंभव प्रयास करें कि राखी का रंग केसरिया हो। आज के दिन इस रंग के राखी का प्रयोग उमंग, साहस बढ़ाने वाला तथा बहन के प्रति विशेष अनुराग पैदा कर सकता है ।

  • वृष

    यदि आपके भाई की जन्म राशि वृष है तो सुर्ख लाल रंग की राखी बेहद शुभ कहीं जाएगी। इस रंग की राखी पहनने से भाई बहन में विश्वास तथा प्रेम का संचार होगा।

  • मिथुन

    उन बहनों को जिनके भाई की जन्म राशि मिथुन है उन्हें गुलाबी अथवा पीले रंग की राखी बांधनी चाहिए। इस रंग की राखी बांधने से आपसी तनाव जहां दूर होंगे वही एक दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ेगा।

  • कर्क

    यदि आपके भाई का राशि कर्क है तो पीले रंग अथवा मेहंदी के रंग का रक्षा सूत्र अथवा राखी बांधने पर भाई के समस्या का समाधान होगा तथा रिश्तो में प्रगाढ़ता आएगी।

  • सिंह

    सिंह राशि के भाई को बहुरंगी अथवा गुलाबी रंग की राखी विशेष शुभ कहीं जाएगी। इससे मन की अस्थिरता दूर होगी तथा बहन के प्रति कर्तव्य बोध का ज्ञान होगा।

  • कन्या

    जिनके भाई की जन्म राशि कन्या है उन्हें लाल रंग के रक्षाबंधन का प्रयोग करना चाहिए। इस रंग की राखी से भाई के अंदर ऊर्जा का संचार होगा तथा बहन के प्रति अपने कर्तव्य का भान होगा।

  • तुला

    तुला राशि के लोगों को पीले अथवा हरे अथवा मिश्रित रंग की राखी विशेष शुभ फल प्रदान करने वाली कहीं जाएगी। इस रंग की राखी आपके अंदर आज के दिन की महिमा का आभास कराने के साथ-साथ कर्तव्य बोध भी देगी।

  • वृश्चिक

    इस राशि का स्वामी मंगल होता है। अतः यदि आपके भाई की राशि वृश्चिक है तो आपको लाल अथवा केसरिया रंग की राखी का प्रयोग करना चाहिए। यह रंग आपके भाई के अंदर आपके प्रति अपने दायित्वों का बोध कराएगी।

  • धनु

    यदि आपके भाई की जन्म राशि धनु है तो आपको पीला, लाल अथवा हरे या इन मिश्रित रंगों की राखी का प्रयोग करना चाहिए। यह रंग न केवल आपके भाई को आनंदित करेगा अपितु आज के दिन के महत्व को भी स्मरित करा कर कर्तव्य बोध कराएगा।

  • मकर

    मकर राशि के भाई को हरा एवं लाल रंग अथवा इससे मिश्रित रंग की राखी विशेष शुभ फल प्रदान करने वाली सिद्ध हो सकती है। आज के दिन इस रंग की राखी नई ऊर्जा का संचार करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

  • कुंभ

    यदि आपके भाई की चंद्र राशि कुंभ है तो आपको पीले रंग की राखी का प्रयोग करना चाहिए। यह रंग आपके भाई के लिए भाग्यवर्धक सिद्ध होने के साथ-साथ ऊर्जावान बनाने में सहायक हो सकता है।

  • मीन

    मीन राशि के सभी भाइयों के लिए लाल, पीला, हरा, केसरिया अथवा इनसे मिश्रित रंग की राखी विशेष शुभ कहीं जाएगी। इस रंग की राखी इनके अंदर सात्विकता पैदा करने के साथ-साथ कर्तव्य बोध कराने वाली सिद्ध हो सकती है।