शनिदेव 30 वर्ष बाद अपने घर आ रहे है।

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शनिदेव 30 वर्ष बाद अपने घर आ रहे है।

दिनांक 29 अप्रैल 2022 को शनि देव 30 वर्ष बाद अपनी मूलत्रिकोण की राशि अर्थात कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं। भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनि कर्म के परीक्षण तथा तदानुसार फल प्रदान करने का अधिकार रखते हैं । वह प्रत्येक मनुष्य के प्रारब्ध तथा क्रियामाण के अनुसार फल प्रधान करते हैं। यद्यपि शनि के राशि परिवर्तन का न केवल प्रत्येक व्यक्ति अपितु सम्पूर्ण विश्व पर गहरा असर पड़ता है।

अतः शनि का राशि परिवर्तन प्रत्येक व्यक्ति के लिए खराब होगा यह कहना उचित नहीं कहा जा सकता है।

शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही शनि की साढ़ेसाती तथा ढैया के बारे में तथाकथित ज्योतिषी अपने स्वार्थ में यह अफवाह फैलाना प्रारंभ कर देते है कि प्रत्येक धनु राशि की साढ़ेसाती समाप्त होगयी अब उनकी बलै-बलै तथा मीन राशि की साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाएगी इसलिए बचके चलना होगा और उपाय करने होंगे। जबकि यह पूर्णतः असत्य है। वास्तविकता यह है की प्रत्येक धनु राशि की साढ़ेसाती नहीं 29 अप्रैल को समाप्त होगी और नहीं प्रत्येक मीन राशि की साढ़ेसाती का प्रारंभ होगा ।

शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया का प्ररम्भ व अन्त जन्म कालिक चंद्रमा के अंशात्मक मान पर निर्भर करता है। इसलिए व्यक्तिगत रूप से मेरी हर पाठक को यह सलाह है कि बिना साढ़ेसाती अथवा ढैया के प्रारंभ अथवा अन्त की तारीख जाने चल रहे उपाय बिल्कुल बन्द न करें तथा प्रारंभ होने के डर से उपाय करना बिल्कुल शुरू न करें।

शनि के इस राशि परिवर्तन का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना कही जाएगी। अप्रैल से जुलाई के मध्य जनता में असंतोष, महंगाई में वृद्धि, बेरोजगारी से असन्तोष, शासन सत्ता के प्रति आक्रोश, धार्मिक उन्माद, आर्थिक स्थिति का खराब होना सम्भव है।

शनि के इस राशि परिवर्तन का द्वादश राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव निम्नवत कहा जा सकता है।

  • मेष

    29 अप्रैल को शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करते ही आपके लिए चतुर्दिक विकास का मार्ग प्रशस्त होने में कोई संदेह नहीं कहा जा सकता। आपकी राशि से शनि का गोचर एकादश भाव में रहेगा जो सभी प्रकार से शुभ एवं लाभप्रद कहा जाएगा। कुंभ राशि में शनि का गोचर मार्च 2025 तक रहेगा जो आपके लिए प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने वाला सिद्ध होगा। आर्थिक प्रगति, नए व्यवसाय का प्रारंभ, इच्छित नौकरी की प्राप्ति, नाम प्रसिद्धि का बढ़ना, चुनावी विजय की संभावना, विदेश से संबंधित कार्यों में सफलता, भूमि, भवन, वाहन का क्रय, पीछे के किए लंबित कार्य में सफलता, घर में मांगलिक कार्य का सम्पन्न होना आदि सम्भव है।

  • वृष

    आपकी राशि से शनि दशम भाव में गोचर करेगा। शनि का यह गोचर जहां पूर्व में किए हुए कार्यों अथवा लंबित कार्यों को संपादित करने में सहायता प्रदान करेगा वही नए प्रकार के कार्यों का प्रारंभ हुई कराएगा परंतु कार्य बहुत तेजी से न होकर रुक रुक कर होने की संभावना कही जाएगी। उपरोक्त के अतिरिक्त आपको पारिवारिक वातावरण से विशेष सावधानी की आवश्यकता कहीं जाएगी। घर में माता अथवा अन्य बुजुर्ग महिला के स्वास्थ्य को लेकर विशेष परेशानी उपस्थित हो सकती है । आपके द्वारा किए जा रहे कार्य के फल प्राप्त होने में विलंब भी हो सकता है परंतु घबड़ाने की कोई आवश्यकता नहीं कही जाएगी क्योंकि निश्चित ही शनि आपको उत्तम फल प्रदान करेगा।

  • मिथुन

    कुंभ राशि में गोचर कर रहा शनि आपकी राशि से नवम भाव में परिक्रमण करेगा ।शनि का यह गोचर गोचर आपके कार्य क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है अर्थात चलते हुए कार्य में रुकावट, नौकरी में परेशानी, परिवारिक वातावरण में नकारात्मक स्थिति का उत्पन्न हो जाना, भाइयों से मतभेद की स्थिति उत्पन्न कर सकता है। नौकरी में आपको सामान्य स्थिति को बनाए रखने के लिए अपने कार्य को पूरी निष्ठा एवं इमानदारी से करना होगा। यहां पर गोचर कर रहा समय नौकरी अथवा व्यवसाय में बार-बार परिवर्तन करने का प्रयास करेगा। यहां बैठा हुआ सनी आपके धर्म एवं आध्यात्मिक कार्यों में भी रुकावट पैदा कर सकता है। आपको इस आश्चर्य का अनुभव भी हो सकता है कि पूर्व में आप नियमित रूप से जहां पूजा पाठ करते थे, आज येन -केन प्रकारेण पूजा करने का नहीं मन कर रहा है और न ही समय मिल रहा है। अतः शनि की उपस्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए नियमितता अत्यंत आवश्यक ही जाएगी।

  • कर्क

    कर्क राशि के जातकों के लिए यह समय सावधानी का कहा जाएगा। आपकी राशि से शनि का गोचर अष्टम भाव में रहेगा जिसके कारण आपको शनि की ढैया का सामना करना पड़ेगा। यद्यपि राशि से अष्टम भाव में गोचर कर रहा शनि शारीरिक, मानसिक, परिवारिक एवं आर्थिक स्थिति के साथ-साथ सामाजिक स्थिति को भी नकारात्मक बनाने का हर संभव प्रयास करेगा परंतु इसकी नकारात्मकता जन्म कालिक शनि की स्थिति पर अधिक निर्भर करती है। हर स्थिति में शनि के इस गोचर को सावधानी से लिया जाना चाहिए अन्यथा गंभीर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। शनि की उपरोक्त ढैया में आप को विशेष रूप से स्वयं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पिता के स्वास्थ्य पर तथा रोजगार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता कही जाएगी।

  • सिंह

    आपकी राशि से शनि का गोचर सप्तम भाव में रहेगा। सप्तम भाव में गोचर कर रहा शनि के लिए चल रहे इस व्यवसाय के लिए उत्तम फल प्रदान करने के साथ-साथ विदेश से जुड़े कार्यों में सफलता प्रदान करने के साथ-साथ विदेश में सेटल होने की भी संभावना उत्पन्न कर सकता है। सप्तम भाव में गोचर कर रहा शनि सफलता प्रदान करने के साथ-साथ थोड़ा अभिमान की स्थिति उत्पन्न कर सामाजिक रुप से निर्बल बनाने का प्रयास कर सकता है। अतः अपनी उपलब्धियों पर संयम रखें तथा सामान्य व्यवहार बनाए रखें। लंबे समय से प्रतीक्षित विदेश में नौकरी करने अथवा नौकरी में परिवर्तन करने का भी शुभ अवसर प्रदान करने वाला कहा जाएगा।

  • कन्या

    29 अप्रैल 2022 से मार्च 2025 तक शनि आपकी राशि से छठे भाव में गोचर करेगा। फल स्वरूप यह समय आपके प्रगति तथा उपलब्धि के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय कहा जाएगा। प्रतियोगी विद्यार्थियों के लिए रोजी रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ व्यवसाय के इच्छुक जातकों के लिए भी यह लाभकारी प्रणाम परिणाम प्रदान करने वाला कहा जाएगा। इसका लंबे समय से चल रहे विवाद में विजय, अदालती निर्णय पक्ष में आना तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त होने की संभावना कही जाएगी। यहां गोचर कर रहा शनि आप के आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक प्रगति एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि करने वाला सिद्ध हो सकता है।

  • तुला

    का पंचम भाव का गोचर आपके लिए लाभकारी स्थिति उत्पन्न करने वाला कहा जाएगा। आपकी राशि से पंचम भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि में गोचर कर रहा सनी विद्या नौकरी व्यवसाय संतान प्रसिद्धि आदि के क्षेत्र में निश्चित सफलता प्रदान करने वाला कहा जा सकता है। यदि आप के जन्मांग में शनि योग कारी अवस्था में बैठा हो तो यह समय आपके लिए बहुत ही लाभकारी होने के साथ-साथ प्रगति के मार्ग के सभी अवरोध को समाप्त करने वाला कहा जा सकता है प्रतियोगी विद्यार्थियों के लिए यह समय वरदान सिद्ध हो सकता है । अतः इस समय विद्यार्थियों को पूरे मनोयोग से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए।

  • वृश्चिक

    वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि, राशि से चतुर्थ भाव में गोचर करेगा। चतुर्थ भाव में गोचर कर रहा सनी लघु कल्याणकारी ढैया के रूप में भी जाना जाता है। यद्यपि शनि की यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है लेकिन किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना भी नहीं कही जा सकती। बार बार प्रयास के बाद सफलता का मिलना, विलंब से कार्य का होना, मन में आलस्य एवं प्रमाद की स्थिति उत्पन्न होना, कभी-कभी निराशा की भावना उत्पन्न होना आदि संभव है। उपरोक्त के अतिरिक्त पिता के स्वास्थ्य के कारण समस्या का उत्पन्न होना, अचानक शत्रुओं का विरोध चिंता उत्पन्न कर सकता है परंतु इससे परेशान होने की आवश्यकता नहीं कही जाएगी । क्योंकि अंततः किसी भी दुखद परिणाम की संभावना नहीं कही जाएगी। शनि के उपरोक्त ढैया के काल में नियमित रूप से अपने कार्य को करने की सलाह दी जाएगी।

  • धनु

    धनु राशि के जातकों की साढ़ेसाती लंबे समय के बाद समाप्त हो रही है। जिसके फलस्वरूप आपकी राशि से शनि तृतीय भाव में गोचर करेगा। तृतीय भाव में गोचर करने के कारण सनी पूर्व में दिए गए हानि को ब्याज के साथ वापस करने में समर्थ कहा जाएगा। अपनी मूल त्रिकोण में स्थित शनि आपके पराक्रम में वृद्धि कराने के साथ-साथ कठिन से कठिन कार्य अथवा परीक्षा में सफल बनाने वाला भी कहा जाएगा। नौकरी व्यवसाय में प्रगति प्रदान करने के साथ-साथ आय के अन्य स्रोत को भी बनाएगा तथा समाज में अच्छी मान मर्यादा एवं प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला सिद्ध होगा। उक्त समय में मुख्य रूप से आपको अपने संतान के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता आवश्यक ही जाएगी।

  • मकर

    मकर राशि के जातकों की उतरती हुई साढ़ेसाती अच्छी नहीं कही जाएगी। मुख्य रूप से यदि आप का जन्म मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु अथवा मीन लग्न का है तो निश्चित रूप से आपको सावधानी रखनी चाहिए अन्यथा शारीरिक, आर्थिक, मानसिक एवं परिवारिक पक्ष पर विशेष हानि की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। साथ ही साथ चल रहे व्यवसाय में हानि, पत्नी के स्वास्थ्य से पीड़ा, साझेदारी के व्यवसाय में विवाद की स्थिति तथा गंभीर हानि का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपका जन्म शनि की योगकारी लग्न का है तो उपरोक्त नकारात्मक फलों में न्यूनता कही जाएगी परंतु सावधानी अवश्य रखें।

  • कुम्भ

    आपकी राशि पर ही गोचर कर रहा सनी मध्य की साढ़ेसाती का संकेत देता है। यदि जन्मांग में शनि नकारात्मक स्थिति में बैठा है तो मतिभ्रम की स्थिति उत्पन्न करने के साथ-साथ जोखिम भरी निर्णय में विशेष स्थान प्रदान कर अवसाद की स्थिति उत्पन्न कर सकता है पुलिस यदि जन्मांग में शनि योग कार्य स्थिति में है तो निश्चित रूप से किसी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं कही जाएगी । कुम्भ राशि में गोचर कर रहा शनि यदि योगकारी अवस्था में है तो लाभकारी स्थिति उत्पन्न करने वाला भी सिद्ध हो सकता है। पत्नी के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता कही जाएगी तथा साझेदारी के व्यवसाय में धैर्य के साथ कार्य करने की सलाह दी जाएगी अन्यथा साझेदारी के व्यवसाय के टूटने की पूरी संभावना बनने के साथ-साथ भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है।

  • मीन

    मीन राशि के जातकों के लिए चढ़ती हुई साढ़ेसाती मिश्रित फल प्रदान करने वाली सिद्ध हो सकती है। मुख्य रूप से जिन जातकों के जन्मांग में शनि नकारात्मक स्थिति में है उन्हें विशेष कष्टकारी परिणाम प्रदान करने वाला सिद्ध हो सकता है। मुख्य रूप से शारीरिक पीड़ा ,आर्थिक हानि, सामाजिक बदनामी, दुर्घटना तथा परिवार में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है परंतु यदि शनि जन्म कुंडली में योगकारी अवस्था में है तो उपरोक्त फलों में निश्चित न्यूनता की संभावना कही जाएगी। परिवार में प्रसन्नता बनायें रखने के लिए आपको बड़ो का पूरा सम्मान करने के साथ साथ पड़ोसियों से भी अच्छे सम्बन्ध बनाए रखें।

    साढ़ेसाती व ढैया के उपाय: यद्यपि शनि की साढ़ेसाती एवं ढैया के नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने हेतु नाना प्रकार के उपाय प्रयोग में लाए जाते हैं परंतु नीचे में मैं कुछ अनुभूत प्रयोगों का वर्णन कर रहा हूं जिससे गंभीर से गंभीर शनि की साढ़ेसाती व ढैया के नकारात्मक प्रभाव को अत्यंत न्यूनता में परिवर्तित किया जा सकता है।

    1- नियमित रूप से भगवान शिव के "सहस्त्रनाम " का जप करें तथा प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को 108 बेलपत्र शिव मंदिर में जाकर प्रभु को अर्पित करें।

    या

    शिव समान दाता नहीं विपत्ति विदारण हार। पर्दा मोरी राखियो वरधा के सवार।।

  • भगवान शिव के उपरोक्त श्लोक का 108 बार जप करें तथा 108 बेलपत्र समर्पित करें।

    2- कठिन से कठिन साढ़ेसाती के नकारात्मक परिणाम यदि प्राप्त हो रहे हो तो इस मंत्र का उच्चारण अमोघ साबित हो सकता है-

    सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:। मंदाचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।

    इस मंत्र को 108 बार नियम से पढ़ें तथा प्रत्येक शनिवार को काला तिल छूकर दान दे दे।

    3- यदि शनि की साढ़ेसाती के कारण आप विषम परिस्थिति का सामना कर रहे हैं तो निम्न उपाय रामबाण सिद्ध हो सकता है प्रतिदिन 11 बेलपत्र लेकर उस पर मलयागिरी के चंदन तथा अनार की लकड़ी से ॐ शं शनिश्चराय नमः लिखें तथा भगवान शिव को समर्पित करें साथ ही साथ 108 बार "ॐ ऐं क्लीं शनिश्चराय नमः" का जप करें।