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अक्षय तृतीया -सर्वसिद्धि का समय

सनातन धर्म में हर घड़ी, हर पल, हर मुहूर्त और तिथि की उपयोगिता का विस्तृत वर्णन मिलता है। मनुष्य के कल्याण हेतु हमारे ऋषि मुनियों ने में हर महत्वपूर्ण समय को उपयोगी बनाने हेतु विस्तृत उल्लेख किया है। वर्ष के महत्वपूर्ण तिथियों में अक्षय तृतीया का भी विशेष महत्व बताया गया है। अक्षय तृतीया प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है इसे अखा तीज या वैशाखी तीज भी कहा जाता है।
वर्ष 2023 अर्थात इस वर्ष अक्षय तृतीया 22 अप्रैल दिन शनिवार को मनाई जाएगी।

अक्षय तृतीया का अर्थ एवं महत्व

दर्शकों अक्षय का तात्पर्य है जो कभी क्षीण न हो अर्थात कभी समाप्त ना हो। यह मान्यता है की अक्षय तृतीया के दिन की गई पूजा, पाठ, यज्ञ, हवन, दान आदि से मिलने वाला पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। आज के दिन मनुष्य जो भी पूजा पाठ दान आदि करता है उसका फल अच्छे होकर मनुष्य की पूर्णता अर्थात जीवन की पूर्णता में सहायक बनता है। अक्षय तृतीया हिंदुओं के साथ साथ जैनियों में भी हर्ष उल्लास के साथ मनाई जाती है। जैन धर्म में यह दिन उनके प्रथम 24 तीर्थंकर में से एक भगवान ऋषभदेव से जुड़ा है।

अक्षय तृतीया का मुहूर्त एवं विशेष योग

इस बार अर्थात 22 अप्रैल 2023 को पढ़ने वाली अच्छे तृतीया बहुत ही शुभकारी है। क्योंकि आज के दिन त्रिपुष्कर योग सुबह 5:50 से 7:50 तक
रवि योग रात 11:25 से कल सुबह 5:49 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग रात्रि 11:24 से कल सुबह 5:33 तक
अमृत सिद्धि योग रात्रि 11:24 से कल सुबह 5:33 तक
आयुष्मान योग सूर्योदय से सुबह 9: 41 तक
तत्पश्चात सौभाग्य योग प्रारंभ हो जाएगा।
इन 6 विशिष्ट लोगों के कारण इस बार की अक्षय तृतीया बेहद महत्वपूर्ण तथा सभी मनोरथ पूर्ण करने वाली कहीं जाएगी।
अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 दिन शनिवार
तृतीया का प्रारंभ प्रातः 7:50 से
तृतीया का समापन 23 अप्रैल 2023 को 7:48 पर।
पूजा मुहूर्त सुबह 7: 50 से दोपहर 12: 21 तक

अक्षय तृतीया का महत्व

हिंदू एवं जैन धर्म अक्षय तृतीया शुभ और महत्वपूर्ण तिथि के रूप में मानी जाती है। आज का दिन अध्यात्म धन समृद्धि सुख और सफलता के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। आज के दिन भगवान भास्कर अपने उच्च की कक्षा अर्थात मेष राशि में परिक्रमण करते हैं । उत्तरायण की अवस्था में सूर्य के अपने उच्च की राशि में गोचर करने के कारण आज के दिन देवताओं का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवताओं के आशीर्वाद जो अक्षय होता है अर्थात कभी खाली नहीं जाता और ना ही कभी नष्ट होता है प्राप्त होने के कारण ही आज के दिन को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। आज के दिन धार्मिक कार्य के अतिरिक्त स्नान,दान, पुण्य का भी बहुत महत्व होता है। आज के दिन अन्न , वस्त्र,धन, औषधि, फल, फूल, पुस्तक, धर्मार्थ दान देने से निश्चय ही अक्षय पुण्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया के दिन की मान्यताएं

यह माना जाता है कि पृथ्वी का पालन करने वाले भगवान विष्णु आज ही के दिन परशुराम के रूप में धरती पर अवतार लिए थे। परशुराम के रूप में भगवान श्री विष्णु का पृथ्वी पर छठा अवतार आज ही के दिन हुआ था। इसीलिए आज के दिन को भगवान परशुराम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। यह भी मान्यता है त्रेता युग के शुरू होने पर पृथ्वी पर आज ही के दिन परम पवित्र माता गंगा का स्वर्ग से आगमन हुआ था। ऋषि भागीरथी के अथक परिश्रम से आज ही के दिन माता गंगा पृथ्वी पर आयी थी। इसलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। आज के दिन गंगा स्नान से मनुष्य के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
आज के दिन अन्न की स्वामिनी माता अन्नपूर्णा के पूजन का भी विशेष महत्व बताया गया है। आज के दिन माता अन्नपूर्णा के पूजन से घर में कभी भी उनकी कमी नहीं होती।
दक्षिण भारत में आज के दिन लक्ष्मी यंत्रम की पूजा की जाती है। यह मान्यता है की एक समय कुबेर ने भगवान शिव की बहुत कठिन तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कुबेर से वरदान मांगने के लिए कहा तब कुबेर ने भगवान शिव से अपनी धन एवं संपत्ति माता लक्ष्मी जी से पुनः प्राप्त करने का वरदान मांगा। भगवान शिव शंकर ने कुबेर को माता लक्ष्मी के पूजन का सलाह दिया था। अभी से लेकर आज तक अक्षय तृतीया पर माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
अक्षय तृतीया के ही दिन महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना प्रारंभ किया था और आज ही के दिन युधिष्ठिर को अच्छे अक्षय पात्र की प्राप्ति हुई थी।