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Enter your OTP Codeमंगल के प्रथम,चतुर्थ, सप्तम,अष्टम एवं द्वादश भाव मे बैठ जाने से कोई मंगलदोष वाला नही हो जाता। इन घरों में मंगल के बैठ ने से जातक व जातिका मात्र मंगला व मंगली होते है, जो मंगल की भावगत विशेषता है। जबकि मंगला दोष अथवा मंगली दोष ,मंगल कि विशेष मारक अवस्था है जहां मंगल पुरुष व स्त्री के सभी अंतरंग संबंधों के साथ साथ , आयु, संतान,दुर्घटना आदि को पूर्णता में प्रभावित करता है।
मंगल दोष का विज्ञान मंगल के प्रथम,चतुर्थ, सप्तम,अष्टम एवं द्वादश भाव मे बैठ जाने से कोई मंगलदोष वाला नही हो जाता। इन घरों में मंगल के बैठ ने से जातक व जातिका मात्र मंगला व मंगली होते है, जो मंगल की भावगत विशेषता है। जबकि मंगला दोष अथवा मंगली दोष ,मंगल कि विशेष मारक अवस्था है जहां मंगल पुरुष व स्त्री के सभी अंतरंग संबंधों के साथ साथ , आयु, संतान,दुर्घटना आदि को पूर्णता में प्रभावित करता है। ज्योतिष के इतिहास में कभी भी मंगला व मंगला दोष का भेद स्पष्ट नही किया गया। यहां तक कि यह भी नही बताया गया कि यदि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रति 100 लोगो को लिया जाय तो उसमें लगभग 42 लोग मंगला व मंगली होते है। जबकि इन 42 लोगो मे लगभग 6 लोग ही मंगला दोष / मंगली दोष वाले होते है। ज्ञान के अभाव में ज्योतिषगण मात्र मंगला जातक को ही मंगलादोष वाला समझ लेते है। जिसके कारण मंगली जातिका का विवाह मंगला दोष वाले जातक से व मात्र मंगला वाले जातक का विवाह मंगली दोष वाली जातिका से किया जारहा है। जिसका परिणाम है -संबंध विच्छेद, मुकदमा, जेल, निराशा, अवसाद, आत्महत्या आदि।,
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4.5 reviews
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